रोहन और समीरा के विवाह को एक माह बीत चुका था। दोनों बहुत खुश थे। रोहन बंगलोर की एक कंपनी में काम करता था। उसने एम॰बी॰ए॰ किया था । समीरा एक अनाथ लड़की थी किन्तु रोहन के माता-पिता ने अपने इकलौते बेटे की खुशी के लिए उसे बहुत उदार हृदय से स्वीकार कर लिया था। रोहन का परिवार दिल्ली में रहता था इसलिए विवाह के बाद रोहन ने बंगलोर की नौकरी छोड़कर दिल्ली लौटने का फैसला किया और दिल्ली की कई कम्पनियों में नौकरी के लिए अर्जी डाल दी।
लगभग पन्द्रह दिन बाद रोहन दिल्ली लौट आया और उसे एक कंपनी से इंटरव्यू लैटर मिला। इंटरव्यू 27 मार्च को था। कंपनी अच्छी थी पर वेतन पहले से थोड़ा कम था फिर भी रोहन और उसका परिवार खुश था कि कम से कम सब एक साथ रह सकेंगे। किन्तु उनकी यह खुशी अधिक दिनों तक न रह पायी। इंटरव्यू से दो दिन पहले देश में लॉकडाउन की घोषणा हो गई और इंटरव्यू टल गया। रोहन अपनी बहुत सी जमा पूंजी अपने विवाह पर खर्च कर चुका था। नौकरी छोड़ते समय कुछ रकम मिली थी उससे घर खर्च चलने लगा। पिता बीमार रहते थे। अतः कुछ पैसा उनकी दवाईयों पर चला जाता था। रोहन ने सोचा कि कुछ दिनों की बात है फिर तो नौकरी मिल ही जाएगी। किन्तु एक के बाद दूसरे और फिर तीसरे लॉकडाउन की घोषणा से रोहन टूट गया। उसे अपने चारों ओर केवल अंधकार ही अंधकार नज़र आने लगा। समीरा और माता-पिता का सामना नहीं कर पा रहा था। 30 मई की रात रोहन ने अपने कमरे के पंखे से लटक कर सभी चिंताओं से मुक्ति पा ली।
31 मई की रात मोदी जी ने 1 जून से अनलॉक -1 की घोषणा की किन्तु समीरा और रोहन के माता-पिता के जीवन में लॉकडाउन सदा के लिए ठहर गया था।
लेखिका डॉ. रेखा शर्मा, दिल्ली विश्वविद्यालय के भारती महविद्यालय के हिन्दी विभाग में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर के रूप में कार्यरत हैं | डॉ. शर्मा ने अपना शोध कार्य दिल्ली विश्वविद्यालय से संपन्न किया, साहित्य में उनकी रूचि नाटक और रंगमंच में है | उनका नाट्य सम्बन्धी आलेख “मोहन राकेश की नाट्य भाषा” साहित्य की प्रतिष्ठित पत्रिका में प्रकाशित हुआ | इसके अतिरिक्त नाट्य विधा पर ही “इला की संवेदना के विविध आयाम” और “इला का सम्पूर्ण परिचय” नाम से दो पुस्तकें प्रकाशित हुई| साहित्य की अन्य विधाओं पर भी इनके कई आलेख हिंदी साहित्य की पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहें हैं|