चाक में अभिव्यक्त स्त्रियों की राजनीतिक चेतना
08 March 2021 | खुशबू

राजनीति  जैसे महत्वपूर्ण सत्ता के क्षेत्र में पाँव रखने से एक स्त्री को घर बाहर की जिन कठोर विपरीत परिस्थितियों के विरुद्ध संघर्ष करना पड़ता है उसका बेहद रोचक और विश्वसनीय चित्रण मैत्रेयी पुष्पा के उपन्यास ‘चाक’ में हुआ है| ‘चाक’ में दो स्त्रियाँ, प्रधानी के चुनाव में सक्रिय हैं, पहली शहरी, टूटी-फूटी अंग्रेजी बोलने वाली पूर्व प्रधान भवानी प्रसाद की बहू ‘सीमा’ तथा दूसरी, गजाधर की  बहू ‘सारंग’| सीमा की भूमिका पंचायत के चुनाव में बहुत सीमित है| वह शहरी और शिक्षित होने, अपने संवादों में ‘प्लीज’, ‘बोर’, ‘इंसल्ट’ जैसे अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग करने के बावजूद एक डरी हुयी और परंपरागत रूढ़िवादी चरित्र है| भवानीदास उसका उपयोग गाँव की  महिलाओं का वोट प्राप्त करने के लिए करते हैं| सारंग को भी राजनीति में ...

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‘एक कहानी यह भी’ में अभिव्यक्त स्त्री स्वर
08 March 2021 | डॉ. समर विजय

यह स्त्रीजीवन की विडम्बना कहिए या फिर उसकी नियति कि आर्थिक रूप से सशक्त  और सामाजिक रूप से प्रतिष्ठित होने के बावजूद भी वह अपनी शर्तों पर या यों कहें कि साझा शर्तों पर समाज में जीवन निर्वाह नहीं कर सकती | कभी उसे संतान के नाम पर कभी परिवार के नाम पर, कभी प्रेम के नाम पर अपनी आकांक्षाओं का गला घोट, खुद को साबित करना पड़ता रहा है| प्रश्न यह है कि आखिर  कब तक एक स्त्री इन सब का बोझ ढ़ोती रहेगी, जिसे उसके अस्तित्व के साथ ही चस्पा कर दिया गया है और आखिर  स्त्री ही क्यों? इन्हीं संवेदनाओं और प्रश्नों के मध्य एक सफल, विचारों से उन्नत, शिक्षित एवं आर्थिक रूप से स्वावलंबी स्त्री के व्यक्तिगत  जीवन की हताशा और वही पुरानी पुरुषवादी सत्ता के समक्ष दो-चार करती स्त्री की कथा है ‘एक कहानी यह भी’।...

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प्रसाद साहित्य : इतिहास और कल्पना का सामंजस्य
08 November 2020 | डॉ. शिवानी सक्सेना

जयशंकर प्रसाद हिन्दी के छायावादी दौर के महत्त्वपूर्ण रचनाकार है। उनका कृतित्व केवल कविता तक सीमित नहीं है, अपितु वे हिन्दी के सुप्रसिद्ध नाटककार, उपन्यासकार, कहानीकार एवं निबंधकार भी हैं। एक ओर जहाँ वह झरना, आँसू, लहर, जैसी कविता लिख कर कल्पना को भावात्मक अभिव्यक्ति तक पहुँचाते हैं और कामायनी लिख कर वह अपने दर्शन को वाणी देने का काम करते हैं, वहीं दूसरी ओर अपने गद्य साहित्य में वे इतिहास और कल्पना का अद्भुत सामजस्य स्थापित करते हैं।...

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Happy Parenting !!
06 November 2020 | Dr. Rekha Sapra

Can this be a reality?Most of the apprehension of the parents, irrespective of the age of the child pertain to ‘Am I doing the right thing for my child?’ ‘How do I make my child one of the best in every field?’‘How do I discipline my child so as he/she is confident, an achiever?’ and many more such questions are always paramount on the parents’ mind. As a child Psychologist when I get to see the behavioural and adjustment related challenges in children, the important observation of the parent child interaction patterns has many hidden answers to the problem.There are many parenting styles and disciplining techniques used by the parents. These are unique to the parents and children, which are dependent on many factors both for parents and ...

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