• न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते।

  • ज्ञान के समान पवित्र इस संसार में कुछ नहीं है।।

  • There is nothing more pure in this world than knowledge(Gyana)

Student Zone

Srijan

सृजन

“सृजन”

‘सृजन’ मनुष्य की अनिवार्य वृत्ति है। सृजनरत मनुष्य ही समाज को कई आयाम प्रदान कर सकता है। सृजनहीनता समाज को जड़ता की ओर ले जाती है। मानव सृजनशील कई संदर्भों में हो सकता है, साहित्य भी नित्य नये सृजन की मांग करता है। साहित्य ही मनुष्य का निर्माण करता है। इसी उद्देश्य से वर्ष 2017 में हिंदी विभाग द्वारा हिंदी साहित्य संस्था “सृजन” की शुरुआत हुई। इस संस्था का उद्देश्य सदैव ही विभाग के विद्यार्थियों के साहित्यिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करना रहा है।

उद्देश्य :

सृजन साहित्य संस्था अपने छात्राओं में साहित्य के प्रति अभिरुचि को पैदा करने का प्रयास करती रही है। साथ ही छात्राओं के सर्वागीण विकास के लिए संस्था द्वारा समय- समय पर अनेक प्रकार की गोष्ठियों, कार्यशालाओं के साथ रचनात्मक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों जैसे वाद- विवाद प्रतियोगिता, आशु भाषण प्रतियोगिता, रचनात्मक लेखन प्रतियोगिता, नाटक प्रतियोगिता, काव्य पाठ एवं लेखन प्रतियोगिता और प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता इत्यादि का आयोजन करती है। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य छात्राओं की रचनात्मकता को उभारने के साथ-साथ देश दुनिया के प्रतिष्ठित विद्वानों/ हस्तियों के विचारों से अवगत करवाना और उन बौद्धिक परिस्थितियों का निर्माण करना है, जिससे आगे चलकर एक भूमंडलीय भारत को दिशा मिल सके।

उपलब्धियां
  • 31 जुलाई 2017 को प्रेमचन्द जयंती के उपलक्ष्य में ‘कहानी कथन प्रतियोगिता’ का आयोजन किया गया, जिसमें प्रेमचन्द की कहानियों को केंद्र में रखा गया।
  • 15 अगस्त 2017 को स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में ‘स्वरचित कविता प्रतियोगिता’ का आयोजन किया गया, जिसका विषय ‘स्वतंत्रता दिवस’ था। जिसके अंतर्गत महाविद्यालय स्तर पर पोस्टर निर्माण, सूक्तिवाचन, फोटोग्राफी, आदि अनेक प्रतियोगिताओं का आयोजन ‘हिंदी साहित्य संस्था सृजन’ द्वारा किया गया।
  • संस्था समय-समय पर अकादमिक व्याख्यान का भी आयोजन करती रही है जिसमें हिंदी के कई बड़े विद्वानों के व्याख्यानों से छात्राएं लाभान्वित होती रही हैं। ‘हिंदी साहित्य: विविध परिदृश्य विषय पर एकदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी’ का आयोजन किया गया, जिसमें प्रो. देवेन्द्र राज अंकुर (पूर्व निदेशक राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय दिल्ली) डॉ. सुनील कुमार तिवारी (असि. प्रोफेसर शहीद भगत सिंह महाविद्यालय दिल्ली), प्रो. नासिरा शर्मा (उपन्यासकार एवं कहानीकार) तथा प्रो. पूरनचंद टंडन (प्रो. दिल्ली विश्वविद्यालय)। आमंत्रित अतिथि वक्ता थे।
  • छात्राओं के रचनात्मक रुझान को ध्यान में रखते हुए “सुखमंच थिएटेर समूह” के माध्यम से ‘शिल्पी मारवाह’ के कुशल निर्देशन भारती कॉलेज के थिएटर रूम में नाटककार स्वदेश दीपक द्वारा रचित प्रसिद्ध नाटक ‘कोर्ट मार्शल’ का मंचन किया गया
  • छात्राओं की सृजनात्मक प्रतिभा को मंच प्रदान करते हुए संस्था की ओर से भित्ति पत्रिका यानी विभागीय छात्राओं की पत्रिका ‘अभिव्यक्ति’ का नवीन अंक भी फ़रवरी (2019) में छात्राओं के बीच आया ।
  • संस्था द्वारा पहली बार सांस्कृतिक उत्सव “आगाज़” का आयोजन किया जिसके अंतर्गत नुक्कड़ नाटक, लोकनृत्य और अन्य प्रतियोगिताओं को करवाया गया।भारती कॉलेज एवं अन्य कॉलेज के छात्र-छात्राओं ने इसमें बढ़-चढ़कर भाग लिया और अनेक पुरस्कार जीते।
  • कोरोना महामारी के संकट से जूझते हुए संस्था एवं विभाग के सहयोग से “जनतंत्र और धूमिल ”विषय पर वेबिनार भी आयोजित किया गया।
संस्था की आगामी कार्ययोजनाएं :

संस्था छात्राओं को हिंदी साहित्य के साथ-साथ रंगमंच, अनुवाद, भाषाविज्ञान, जनसंचार एवं पत्रकारिता के क्षेत्र में आगे बढ़ने हेतु कई कार्यक्रम आयोजित करती रहेगी। आगामी सत्र में विभाग के शिक्षकों के सहयोग से संस्था हिंदी साहित्य के विविध विषय पर पत्रिका प्रकाशिक करने का लक्ष्य तय करने के क्रम में अग्रसर है, साथ ही विभाग के साथ मिलकर अन्य साहित्यिक गतिविधियों पूर्ण करने हेतु संकल्पित है।

संस्था का गठन :

हिंदी साहित्य संस्था “सृजन” के पदाधिकारियों का गठन प्रत्येक वर्ष (बी.ए हिंदी विशेष) की छात्राओं द्वारा चुनाव द्वारा होता है जिसमें प्रत्येक वर्ष की छात्राएं अपने मत का प्रयोग कर अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव और सहसचिव का चुनाव करती हैं।